बर्फबारी और बारिश के साथ संपन्न हुआ मां माहेश्वरी देवी का बल्टी महायज्ञ, बाग बाग हुए बागवान

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जिला शिमला के प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां माहेश्वरी धाम शड़ी मतियाना में रविवार को ऐतिहासिक बल्टी महायज्ञ मेले का आयोजन परंपरा अनुसार विधि विधान से धूम धाम से किया गया । कोरोना महामारी के कारण देवठी में बल्टी मेला नही मनाया जा सका था जिस कारण इस बार लगभग चार वर्षो बाद ये ऐतिहासिक बल्टी महायज्ञ मेला मनाया जा रहा है।

 

बल्टी महायज्ञ मेले का इतिहास

बल्टी महायज्ञ मेला पारंपरिक एवम ऐतिहासिक मेला है जो सदियों से मनाया जा रहा है। मेले में सर्वप्रथम सुबह माता की पूजा अर्चना की जाती है उसके बाद परम्परा के अनुसार शाबर मंत्रोचारण के साथ मंदिर की शिखा का पूजन किया जाता है जहा से मां माहेश्वरी क्षेत्रवासीयो को सुख समृद्धि और उन्नति का आशीष प्रदान करती है। उसके बाद मंदिर परिसर में भव्य जातर का आयोजन किया जाता है जिसमें मतियाना परगना के कल्याणो सहित दूर दूर से आकर हजारों की संख्या में लोग भाग लेते है। जातर के बाद मुख्य मंदिर में माता के पुजारियों द्वारा होम किया जाता है और रात्रि में मंदिर में माता का जागरा होता है। और ये एकमात्र ऐसा मेला होता है जो पहले दिन सूर्य उदय से आरंभ होता है और दूसरे दिन सूर्य उदय तक चलता है

क्या कह रहे माता के कारदार

 

मां माहेश्वरी के देवा नारायण दत्त शर्मा, कारदार उदीराम शर्मा, मुख्य पुजारी केशवराम शर्मा, कारदार अधिवक्ता मदन चौहान ने जानकारी देते हुए बताया की ये परंपरागत मेला है जो सदियों से मनाया जा रहा है और आज भी परंपरा कायम है। इस महायज्ञ के दौरान क्षेत्र में सुख, शांति और उन्नति के लिए शिखा पूजन, जातर, होम और जागरे की प्रथा का निर्वहन किया गया और माता द्वारा मेले में आए लोगो व क्षेत्रवासियों को सुख समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान किया गया।

बल्टी महायज्ञ के दौरान जरूर होती है बर्फबारी या बारिश

स्थानीय बुजुर्ग कारदारो की माने तो सदियों से मां माहेश्वरी जी की देवठी शड़ी मतियाना में माघ माह में मनाया जाने वाला बल्टी महायज्ञ माता का अहम महायज्ञ होता है जिसमे शिखा पूजन, जातर, होम सहित रात के चारो पहर में जागरण चलता है। पारंपरिक एवम प्राचीन शाबर वेद के मंत्रोचारण के साथ महायज्ञ में जगदम्बा मां माहेश्वरी और मां महाकाली के साथ साथ अन्य देवी देवताओं का आह्वान और पूजा अर्चना की जाती है। महायज्ञ का उद्देश्य प्राचीन परम्पराओं के निर्वहन के साथ साथ समूचे क्षेत्र को दैविक और प्राकृतिक प्राकोपो से बचाने और पूरे मतीयाना परगना में शांति, सुख समृद्धि और खुशहाली बनाए रखना है।

बुजुर्गो का कहना है की जब भी बल्टी महायज्ञ का आयोजन होता है बड़ी शक्तियों का आह्वान और पूजन किया जाता है जिस कारण से बर्फबारी और बारिश के योग बनते है और बारिश और बर्फबारी होने से महायज्ञ को परिपूर्ण माना जाता है और इसे मां माहेश्वरी देवी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आज तक के इतिहास में बल्टी मेला के दौरान बर्फबारी या बारिश होती आई है।

 

 

 

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