वैसे तो आजकल बहुत से युवा कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से सोशल मीडिया व अन्य जगहों पर नाम कमा रहे तो आज बात करेंगे दलाश के साद लगते गाँव भगीरी के रिशी की जो कि केवल 20 वर्ष की आयु में ही एक उचा मुकाम हासिल कर चुके है रिशी आजकल रामपुर के ब्राॅ में रह रहे है व वही पर अपना एक छोटा सा स्टूडियों चला रहे है रिशी ने बहुत से पहाड़ी गानो को अपने संगीत से सजाया है और काफी सारे लाइव कार्यक्रमों मे भी अपनी प्रस्तुतिया देते आ रहे है। व अपने हिमाचल की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए बहुत सी कोशीशे कर रहे है रिशी ने अपनी पहली म्यूजिक अल्बम् कोटगढ़ को दी जिसके गायक निशू रुहानियत थे।
इस अल्बम् का नाम कोटगढ़ो री मैडमें था जिसमें कि उन्होने काफी अच्छी तरह से काम करके गाँव व आसपास के लोगो को खुब लुभाया। एवं लोगो द्वारा भी रिशी की काफी तारीफ की गई। इसके बाद रिशी रूके नही और न ही पीछे मुड़कर देखा और आज एक एसी पहचान बना चुके है रिशी को अपने स्कूली समय से ही इस काम का काफी शौक था। रिशी ने 8वीं कक्षा से ही काम की शुरुआत करदी थी औऋ स्कूलो में अपनी उपस्थिति के साथ साथ प्रस्तुतिया देते थे। आगे बड़ने के लिए रिशी को घर से पुरा योगदान मिला। वही कलाकारों द्वारा भी इन्हें काफी योगदान मिला और कार्य करने का जज्बा मिला रिशी व साथियों ने आजकल अपना एक म्युज़िक बैड तैयार कर लिया है जिसमें कि अजय कुमार, अरविंद अनशुमन, सचिन कुमार है और कुछ समय पहले ही माँ कुसुभा भवानी का एक भजन प्रस्तुत किया जिनका मंदिर की खेगसू में स्थित है। इस गीत को अपनी सुदर आवाज़ से सजाया सचीन ने वही संगीतकार थे रिशी इस गीत में माँ कुसुभा के मंदिर व पारंपरिक बातो की विस्तृत विवरण को गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया है
दलाश के भगीरी गाँव के रिशी के टेलेंट का जजबा कुछ ऐसा की लोग कर रहे जमकर तारीफ़ छोटी उम्र में हासिल कर लिए बड़े मुकाम
