सिरमौरी ताल में फटा बादल, एक परिवार के 5 लोग मलवे में दबे

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पांवटा साहिब

पांवटा साहिब उप मंडल के तहत आने वाले मुगलवाला करतारपुर पंचायत के सिरमौरी ताल गांव में बादल फटने से देर बुधवार की रात को तबाही हुई है। एक ही परिवार के 5 लोग मलबे के नीचे दब गए हैं।

इनमें से वीरवार को एक बच्ची सहित दो के शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि परिवार के तीन सदस्य अभी भी मलबे के नीचे दबे हुए हैं। भारी बारिश की वजह से सांय काल के दौरान मौके पर सर्च आपरेशन रोक दिया गया है।

 

जानकारी के अनुसार सिरमौर जिला के पावंटा साहिब उपमंडल के तहत आने वाले सिरमौरी ताल गांव में बुधवार की रात को आसमान से आफत बरसी है। रात्रि करीब 8.30 बजे सिरमौरी ताल में रहने वाले लोग अपने घर में भोजन कर रहे थे।

 

इस दौरान साथ लगती पहाड़ी पर बेहद डरावनी आवाज आई और ऐसा लगा कि पूरी पहाड़ी खिसक कर नीचे आ गई। लोग अभी संभले भी नहीं थे कि पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा, पत्थर और बड़ी बड़ी चट्टाने सिरमाैरी ताल गांव में आ गई।

 

बताया जा रहा है कि बादल सिरमौरी ताल गांव के उपर वाली पहाड़ी जिसे मालगी के नाम से जाना जाता है वहां पर फटा है। पहाड़ी से चंद मिनटों में ही मलबा पूरे गांव में फैल गया। इस घटना में स्थानीय निवासी कुलदीप का पूरा परिवार मलबे के नीचे

 

दब गया। कुलदीप अपने परिवार के पांच सदस्यों के साथ यहां पर रहता था। मलबे में मकान की केवल छत दिखाई दे रही है। मलबे इतनी तेज गति से आया कि मकान भी करीब 20 मीटर आगे खिसक कर चला गया है। वीरवार को दिन भर सर्च

 

आपरेशन चलता रहा। दोपहर बाद मौके से कुलदीप के शव को बरामद कर लिया गया है, जबकि एक अन्य बच्ची का शव बरामद हुआ है। मलबे के नीचे रजनी देवी, जीतो देवी व नितेश अभी भी दबे हुए हैं।

 

सिरमौरी ताल व आसपास के क्षेत्रों में वीरवार को भी भारी बारिश हुई है जिसकी वजह से प्रशासन को सर्च आपरेशन रोकना पड़ा है। दिन भर तीन जेसीबी मशीने मौके पर लगी रही । जेसीबी भी मलबे में फंस गई थी।

 

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जिसे कड़ी मशक्त के बाद बाहर निकाला गया। मौके पर उपायुक्त सिरमौर, तहसीलदार पावंटा साहिब व विधायक पावंटा साहिब भी पहुंचे थे तथा राहत कार्य का जायजा लिया।

 

सिरमौर ताल गांव में करीब 70 लोग रहते हैं तथा करीब एक दर्ज घर इस गांव में हैं। बुधवार को जब देर रात बादल फटा तो पूरे गांव में मलबा भर गया। पुलिस व प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंच कर सभी लोगों को रैस्क्यू किया है तथा आसपास के आश्रम में इन लोगों के रूकने की व्यवस्था की गई है। लोग वापिस गांव में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।

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