डोम देवता मातली 25 वर्षो बाद निकले जातर भ्रमण पर, क्या है इतिहास जानिए

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मतियाना

 

अब मातली के बाद खशधार मे उमड़ा आस्था का जनसैलाब……

खशधार में माँ कोटेश्वरि के प्रांगण में श्री डोम देवता महाराज मातली की पहली जातर सम्पन्न

 

जिला शिमला की तहसील ठियोग की ग्राम पंचायत क्यार के “मातली” गांव मे स्थित श्री डोम देवता महाराज मातली की पहली जातर आज माँ कोटेश्वरी के मंदिर परिसर “खशधार”मे सम्पन्न हुई जिसको देखने आशातीत भीड़ जुटी । ठियोग तहसील की ग्राम पंचायत क्लींड के गाँव “खशधार” में माँ कोटेश्वरी का भव्य मंदिर है और इसी प्रांगण में यह जातर सम्पन्न हुई।

परम श्रद्धेय श्री डोम देवता जी महाराज 19 नवंबर को पुरे विधि-विधान से मंदिर मे बने सिंहासन से रथ मे विराजमान हुए। श्री डोम देवता जी महाराज की प्रथम जातर “खशधार” में ही आयोजित होती है और उसके बाद महाराज आगामी तीन वर्षो तक जातर यात्रा मे रहेंगे। महाराज जातर यात्रा के दौरान कई क्षेत्रो का भ्रमण करेंगे जिसे “देश-भ्रमण” कहा जाता है।

 

19 नवम्बर को “शरमला” से आये देवठूओ ने महाराज के रथ को गाची बांधी, उसी दिन “मातली” में भी भव्य आयोजन हुआ और हज़ारो की संख्या में लोग “गाची” बाँधने की परम्परा के गवाह बने।

https://youtu.be/qcy1BTFYJ0c?si=DP-SBOcR9oUTnBvJ

20 नवंबर को डोम देवता महाराज ने ठियोग और कोटखाई की सीमा की चोटी मे स्थित माँ कोटकाली के दरबार मे जाकर माँ कोटेश्वरी का आशीर्वाद लिया और वहीँ पर रथ के शाड़े छोड़े गए।

माँ कोटेश्वरी का आशीर्वाद लेने के बाद श्री डोम देवता महाराज 20 नवंबर को ही माता रानी के मंदिर परिसर “खशधार” पहुंचे और रथ के साथ मातली के देवठूओ ने परम्परा का निर्वहन करते हुए जातर नाची। यह जातर माता रानी की तरफ से आयोजित हुई।

आज यह जातर रथ के साथ मातली के देवठूओ द्वारा चोलटू पहन कर नाची गयी और हज़ारों लोग इसके गवाह बने।

आज के बाद यह जातर यात्रा सभी देव परम्परा वाली सभी औपचारिकताओ को पूर्ण करने के बाद पुरे विधि -विधान से आरम्भ हो गयी है और अब यह यात्रा तीन वर्ष तक चलेगी तथा तीन वर्ष तक देवता जी महाराज मंदिर मे प्रवेश नहीं करेंगे।

तीन वर्ष बाद एक और भव्य महापर्व “भड़ातर” आयोजित किया जायेगा, उसके बाद महाराज अपने मंदिर मे विराजमान होंगे।

नमाना, मातली, डूलू, खनेऊ, भल्याणा, ब्रामु और बंडड़ी सहित कई क्षेत्रो के लोग जातर यात्रा के दौरान साथ रहेंगे। देवठू लोग चोलटू नृत्य करेंग।

रमेश कमल,

 

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